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छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण पर दिया ज़ोर

 छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण पर दिया ज़ोर

छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण पर दिया ज़ोर

भू-अभिलेख आधुनिकीकरण एवं नक्शा परियोजना की समीक्षा हेतु तीन दिवसीय दौरा कार्यक्रम

भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण कई कारणों से बहुत आवश्यक है, क्योंकि यह देश में भूमि से जुड़े कई मुद्दों का समाधान करता है। इसे 'डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम' (DILRMP) के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ राज्य में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) तथा नक्शा परियोजना के कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग (DOLR) के वरिष्ठ अधिकारियों का तीन दिवसीय दौरा कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इस क्रम में भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के सचिव श्री मनोज जोशी एवं संयुक्त सचिव श्री कुणाल सत्यार्थी ने आज न्यू सर्किट हाऊस नवा रायपुर में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) तथा ‘नक्शा परियोजना’ की प्रगति की समीक्षा की। इस बैठक में राजस्व विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत,महानिरीक्षक पंजीयन श्री पुष्पेंद्र मीणा,भू संचालक श्री विनीत नन्दनवार, भूमि संसाधन विभाग के डॉ. एम.के.स्टॅलिन सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। 

भू अभिलेखों को डिजीटलाइज करना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि भारत में भूमि संबंधी विवादों के कारण अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, जिनमें समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। डिजिटल रिकॉर्ड में ज़मीन के मालिकाना हक, सीमा और अन्य विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज होते हैं। इससे फर्जी लेनदेन और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है, जिससे भूमि विवादों में भारी कमी आती है। इस बैठक के दौरान केंद्रीय सचिव भूमि संसाधन श्री मनोज जोशी  विभागीय अधिकारियों के साथ भू-अभिलेख के संधारण, सर्वे आदि की प्रगति की विस्तृत समीक्षा एवं परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालय के लंबित प्रकरणों को शीघ्र निराकरण करने के लिए अनावश्यक तिथि बढ़ाये जाने की परंपरा को रोका जाए। जिओरिफ्रेंसिंग के कार्य को पूर्ण कर किसानों के हित मे उपयोग करें। इसके लिए ध्यान रखें कि भूमि के क्षेत्र और सीमा में वेरिएशन कम से कम हो।

पारंपरिक कागज़ी रिकॉर्ड में हेरफेर या भ्रष्टाचार की संभावना अधिक होती है। आधुनिकीकरण के बाद, सभी जानकारी ऑनलाइन और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती है, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है। लोग घर बैठे ही अपनी ज़मीन का रिकॉर्ड देख सकते हैं, जिससे अधिकारियों पर निर्भरता कम होती है और रिश्वतखोरी पर रोक लगती है। यह सुशासन को बढ़ावा देता है। जमीन से संबंधित प्रकरणों को निराकृत करने के लिए विशेष राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है। राज्य में भूमि सर्वे या रिसर्वे के कार्याे को क्षेत्रानुसार अलग-अलग वेंडरों को दिया जाय ताकि काम समय पर पूरा हो। उन्होंने कहा कि राज्य में भूमि सर्वे या रिसर्वे के काम को प्रशासन द्वारा कुछ गांव को मॉडल के रूप में लेकर भी किया जा सकता है। इसी तरह जमीन दस्तावेजों के साथ भू-स्वामियों के बारे में यथा आधार कार्ड,मोबाइल नंबर आदि की सम्पूर्ण जानकारी को सुरक्षित रखा जाए। इस जानकारी का उपयोग भू-स्वामियों के लिए जमीन के उपयोग,बैंक ऋण या खरीदी-बिक्री आदि में हो सकेगा।इस समीक्षा बैठक का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण और नक्शा परियोजना की प्रगति को गति देना तथा सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।

डिजिटलीकरण से नागरिकों के लिए ज़मीन से जुड़ी जानकारी हासिल करना बहुत आसान हो जाता है। संपत्ति के मालिकाना हक के प्रमाण, भू-नक्शे और अन्य दस्तावेज़ ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं, जिससे इन्हें प्राप्त करने में लगने वाला समय और मेहनत कम हो जाती है। इसके अलावा, संपत्ति का पंजीकरण और नामांतरण जैसी प्रक्रियाएं भी तेज और सरल हो जाती हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय राजस्व सचिव 14  से 16 जुलाई 2025 तक राज्य के दौरे में हैं। इस महत्वपूर्ण दौरे का उद्देश्य राज्य में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, पारदर्शिता तथा अद्यतन भू-अभिलेखों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है ताकि आमजन को समयबद्ध एवं सुगम सेवाएं प्राप्त हो सकें। छत्तीसगढ़ शासन एवं संबंधित विभागों द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह समीक्षा बैठक मील का पत्थर सिद्ध होगी।

लेंड रिकार्ड के डिजीटलाइज होने के फायदे समझते समय यह जान लेना चाहिए कि साफ-सुथरे और सत्यापित भूमि रिकॉर्ड से भूमि का आर्थिक मूल्य बढ़ता है। इससे बैंक ऋण लेना, कृषि ऋण प्राप्त करना या ज़मीन पर निवेश करना आसान हो जाता है। डिजिटल रिकॉर्ड होने से सरकारी योजनाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास में भी मदद मिलती है, क्योंकि सटीक डेटा के आधार पर सही निर्णय लेना संभव होता है। डिजिटल भू-स्थानिक मानचित्रों के साथ भूमि रिकॉर्ड को एकीकृत करने से सरकार के लिए शहरों और गांवों की योजना बनाना आसान हो जाता है। भूमि उपयोग, शहरीकरण और प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए सटीक जानकारी उपलब्ध हो पाती है, जिससे बेहतर और प्रभावी नीतियां बनाई जा सकती हैं।

 

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